Sunday 21 July 2013

सफर

निकल गया सफर पे पर मंजिल का पता नहीं,
कहने को साथ क्ई हैं पर हमसफर का पता नहीं.....
रुठ के राही मेरे डगर के सोचते हैं कि मैँने साथ उनका छोड़ा  , 
अरे कोई कह दो उन्हें ये जुनून-ए-मुकाम है...
मेरी कोई खता नहीं......

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