Monday 30 June 2014

CHAAHAT

उसकी चाह है बेटा हो विवेकानंद सा,
और पसंद है महिलाओं को बेआबरु करने वाला हनी सिंह,
बेटी की चाह संस्कारी हो,
और पसंद है बेबी डोल,
संस्कारों का अस्तित्व हो रहा है गोल,
आँखों की पट्टी खोल,
या चाह छोड़ दे विवेकानंद का,
नारी की इज्जत भूल जा,
और बलात्कारी को अपनाकर समाज में,
यो यो की तर्ज पे नाचता जा .........
......
Raman pathak
आज के युवा हनी सिंह को आदर्श मानते हैं,लड़कियाँ सनी की राह चलती हैं,
तो हमारे समाज को संस्कार की कामना भी नहीं करनी चाहिए ..............
सोच बदलो,देश बदलो

No comments:

Post a Comment