वो तेरा जुल्फों का मेरे कँधे पर गिराना,
मेरे रुठे लबों को तेरी अदाओं से मनाना,
बिरयानी खाना और हाथों में हाथ डालना,
अब गवारा नहीं तेरे बगैर रहना...................
एक आँधी सी मेरी जिन्दगी में खुशियों को लाना,
सुबह और शाम के फासले मिटाना,
सारी रात दुरीयों का एहसास कराना,
अब गवारा नहीं तेरे बगैर रहना.........................
सब कुछ यूँ हुआ की कुछ सोच ना पाया,
तुम कौन हो ये जान ना पाया,
तेरे कितने आशिक और है ये जान ना पाया,
सारे उलझनों को मैँने किनारे तो किया,
पर फिर भी मैंने तुम्हें पराया ही पाया.....
अब मुझे तेरे हाथों की ऐसी लत लग ग्ई,
कि यारों की हाथ विरानी हो ग्ई,
तू तो खुद को समेट लोगी अपनी यादों में,
पर मेरा क्या होगा यादें तो अब मेरा ना रहा,
हर याद में तेरी सूरत की झिलमिलाहट है,
तुम्हें दुर किया पर फिर भी मन में तेरी मूरत है,
इतनी कसक है मन में की कुछ बयाँ ना करना,
अब गवारा नहीं तेरे बगैर रहना.................
..............................RAMAN PATHAK for more such poem log on to http://www.pathaksfunda.blogspot.in/?zx=96b4f30049ad9727
मेरे रुठे लबों को तेरी अदाओं से मनाना,
बिरयानी खाना और हाथों में हाथ डालना,
अब गवारा नहीं तेरे बगैर रहना...................
एक आँधी सी मेरी जिन्दगी में खुशियों को लाना,
सुबह और शाम के फासले मिटाना,
सारी रात दुरीयों का एहसास कराना,
अब गवारा नहीं तेरे बगैर रहना.........................
सब कुछ यूँ हुआ की कुछ सोच ना पाया,
तुम कौन हो ये जान ना पाया,
तेरे कितने आशिक और है ये जान ना पाया,
सारे उलझनों को मैँने किनारे तो किया,
पर फिर भी मैंने तुम्हें पराया ही पाया.....
अब मुझे तेरे हाथों की ऐसी लत लग ग्ई,
कि यारों की हाथ विरानी हो ग्ई,
तू तो खुद को समेट लोगी अपनी यादों में,
पर मेरा क्या होगा यादें तो अब मेरा ना रहा,
हर याद में तेरी सूरत की झिलमिलाहट है,
तुम्हें दुर किया पर फिर भी मन में तेरी मूरत है,
इतनी कसक है मन में की कुछ बयाँ ना करना,
अब गवारा नहीं तेरे बगैर रहना.................
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