"तकिये को भींगो रखा था नयन नीर से,
अपने आँसू छुपा रखा था जमाने की भीड़ से ।"
Thursday 16 May 2013
MANJIL
निकल गया सफर पे पर मंजिल का पता नहीं, कहने को साथ क्ई हैं पर हमसफर का पता नहीं.....रुठ के राही मेरे डगर के सोचते हैं कि मैँने साथ उनका छोरा, अरे कोई कह दो उन्हें ये जुनून-ए-मुकाम है...मेरी कोई खता नहीं......
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