Monday 15 August 2011

ऐ वतन

हमारा देश तो 1947मेँ सिर्फ अँग्रेजोँ के चँगुल से आजाद हो गया।लेकिन क्या ये स्वतन्त्रता है?बिल्कुल नहीँ यार क्योँकि आज भी वो शख्श आजाद नहीँ जिसे दुनियाँ गरीब कहती है।वो तो आज भी अपने से ज्यादा पैसे वाले से दबे हुऐ आवाज मेँ बातेँ करता है और यदि अपने अधिकारोँ के लिये आवाज उठाने की हिम्मत करता भी है तो ना जाने कितनी मुसिबतोँ का सामना करना परता है उन्हेँ।इसलिये उनका आजाद इन बेरियोँ से होना बहुत जरुरी है और उन्हेँ आजादी सिर्फ वो शख्श दे सकते हैँ जो नारे तो आजादी की लगाते हैँ और खुद ही अपने से कम पैसे वाले को कमजोर और गरीब समझते हैँ।अरे ये अमीर क्या जाने की क्या कारण है कि आज भी वो गरीब है।इसलिये आज स्वतन्त्रता दिवस के दिन आइए हमसब मिलकर कसम खायेँ कि ऐ वतन तेरे सभी लालेँ आज से आजाद है।ये संभव है अगर हम सब उनको आजाद होने मेँ उनकी मदद करेँ।क्योँकि अब नहीँ गवारा कि कोई बाहर वाला हमारे घर मेँ आके हमेँ धमकाए।
जय हिन्द।

"रमन पाठक"

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