Pathak's funda
"तकिये को भींगो रखा था नयन नीर से, अपने आँसू छुपा रखा था जमाने की भीड़ से ।"
Wednesday 9 April 2014
मुक़ाम
आज शायद कयी मुझसे नाराज होगा,
आज हूँ गरीब पर बहुत जल्द कामयाबी का आगाज होगा,
अपनों को ही नहीं गैरों को भी मुझपे नाज होगा,
ऐ गुरुर-ए-सोहरत में मशगुल सुनों,
मेरी माँ की दुआऐं मेरी सरताज है,
बहुत जल्द कामयाबी की दुनीयाँ पे अपना राज होगा.....
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