Pathak's funda
"तकिये को भींगो रखा था नयन नीर से, अपने आँसू छुपा रखा था जमाने की भीड़ से ।"
Sunday 28 September 2014
बुझती चिराग के जलने का इंतजार भी गवारा है,
बस कामयाबी के नशे में अपनों से दूरी कभी ना गवारा है ...............
.."Raman Pathak"
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