"तकिये को भींगो रखा था नयन नीर से,
अपने आँसू छुपा रखा था जमाने की भीड़ से ।"
Saturday 27 September 2014
अपने सुरत को आइने में वो देखते हैं ऐसे, की खुबसुरती कम न होने की वजह ढुँढती हो जैसे, सज धज के वो बाहर निकलती है, और नजरें चुराती है की कोई देख ना ले ऐसे ..............
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