Saturday 27 September 2014

वक्त भी कितनी खफा हो गयी मुझसे,
जब मैं रोता हूँ तो सब हँसते हैं,
और जब मैं हँसता हूँ ,तो सब को बस तकलीफ पहुँचाता हूँ,
ऐ वक्त गर तू थक गया हो मेरी इम्तिहान लेकर,
तो मेरी भी जिन्दगी में आजा कभी खुशियों की चादर लेकर,
यूँ तो बहुतों को ये न गवारा होगा,
पर क्या करुँ गम-ए-जिन्दगी में अब और ना गुजारा होगा .........

....."रमन"......

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